Shyam Benegal Death: समानांतर सिनेमा के ‘वट वृक्ष’ श्याम बाबू, गुरु दत्त की ‘बाजी’ से फूटा ‘अंकुर’

Legendary Filmmaker Shyam Benegal dies at 90. Photo- Instagram
Inside The Story 

* समानांतर सिनेमा के पायनियर थे श्याम बेनेगल
* अंकुर से किया था फिल्म निर्देशन में डेब्यू
* श्याम बेनेगल के कजिन थे लीजेंड्री गुरु दत्त

मुंबई। Shyam Benegal Death: 1951 में आई देवानंद की फिल्म बाजी हिंदी सिनेमा की पहली हिंदी नॉयर फिल्म मानी जाती है। हॉलीवुड की ऐसी क्राइम फिल्मों को फिल्म नॉयर कहा जाता था, जिनमें नायक दिल का बुरा नहीं होता था और अपराध किसी वजह से करता था।

इस जॉनर की कहानियों और किरदारों को पेश करने का अंदाज भी अलहैदा रहता था। बहरहाल, बाजी का निर्देशन भारतीय सिनेमा के जीनियस फिल्ममेकर गुरु दत्त ने किया था।

यह फिल्म देवानंद का संघर्ष के दिनों में गुरु दत्त के साथ किया गया एक वादा थी। बाजी की सफलता ने हिंदी सिनेमा में नॉयर फिल्मों के लिए दरवाजे खोल दिये।

… और इस फिल्म की वजह से ही हिंदी सिनेमा को समानांतर सिनेमा के ‘वट वृक्ष’ श्याम बेनेगल मिले।

सुनने में बात अजीब लग सकती है, क्योंकि जिस फिल्म को देखने के बाद 17 साल के श्याम बाबू ने यह ठान लिया कि बनना तो फिल्ममेकर ही है, उनके अपने सिनेमा में उस जॉनर की तो कोई झलक ही नहीं मिलती।

यह भी पढ़ें: Zakir Hussain Death: रुक गई संगीत की धड़कन! उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन से बॉलीवुड और संगीत जगत में छाया शोक

Cinema Paradiso के टोटो रहा श्याम बाबू का बचपन

श्याम बेनेगल की फिल्ममेकिंग से मोहब्बत की कहानी कुछ-कुछ सिनेमा पैराडाइजो के टोटो जैसी है। हैदराबाद में छह साल की उम्र में पड़ोस के एक थिएटर में हफ्ते में तीन-चार फिल्में देखने से सिलसिला शुरू हुआ।

फोटोग्राफर पिता के छोटे-छोटे होम वीडियो ने ख्वाबों को पंख लगाये और कजिन गुरु दत्त की फिल्म ‘बाजी’ ने इस सपने को परवाज दी। गुरुदत्त की नानी और श्याम बेनेगल की दादी सगी बहनें थीं।

फिल्मकार बनने का ख्वाब लेकर 25 साल के श्याम बेनेगल हैदराबाद से बॉम्बे (मुंबई) पहुंच गये, ताकि हिंदी फिल्मों के थोड़ा और करीब हो सकें। शुरुआत एडवरटाइजिंग कम्पनियों में लेखन से की, क्योंकि उस वक्त वही आता था।

पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) में सात सालों तक पढ़ाया। बाद में दो बार इसके चेयरमैन भी बने। इस बीच डॉक्युमेंट्री बनाईं।

1973 में फूटा पैरेलल सिनेमा का ‘अंकुर

1973 में श्याम बेनेगल की पहली फीचर फिल्म अंकुर रिलीज हुई। इसके साथ ही भारतीय सिनेमा में उस फिल्ममेकिंग के बीज अंकुरित हुए, जिसे समानांतर सिनेमा कहा गया। ऐसा सिनेमा, जो मेनस्ट्रीम हिंदी फिल्मों के साथ-साथ चलता हो, मगर कहानी कहने और दिखाने का अंदाज वास्तविकता के करीब हो।

अंकुर से हिंदी सिनेमा को श्याम बेनेगल के साथ दो बेहतरीन अदाकार शबाना आजमी और अनंत नाग मिले। शबाना उन दिनों कुछ अन्य फिल्में भी कर रही थीं, मगर अंकुर उनकी पहली रिलीज बनी।

अनंत नाग, थिएटर थेस्पियन सत्यजीत दुबे के शागिर्द थे।

यह भी पढ़ें: Kishore Kumar: ‘हीरो’ किशोर कुमार के लिए जब मोहम्मद रफी ने गाये गाने, इन फिल्मों में दी आवाज

नसीरुद्दीन शाह को दिया सिनेमा में ब्रेक

इसके बाद आईं निशांत, मंथन और भूमिका ने श्याम बेनेगल को समानांतर सिनेमा का पैरोकार स्थापित कर दिया। सामाजिक सरोकार हमेशा उनके कथ्य का हिस्सा रहा। निशांत से श्याम बेनेगल ने नसीरुद्दीन शाह भारतीय सिनेमा को दिये।

50 के दौर में गुरु दत्त ने भारतीय सिनेमा को समृद्ध बनाने के लिए जो किया, 70-80 के दौर में श्याम बेनेगल ने उसे आगे बढ़ाया। बड़े पर्दे को समृद्धशाली बनाने के साथ श्याम बाबू ने छोटे पर्दे का भी मान बढ़ाया।

14 दिसम्बर को श्याम बेनेगल ने उम्र का 90वां पड़ाव पार किया था। नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी और कुलभूषण खरबंदा समेत कई साथी बधाई देने पहुंचे थे। फोटो- X

पंडित जवाहर लाल नेहरू की किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया पर आधारित उनका धारावाहिक भारत एक खोज, इतिहास को देखने-परखने का एक अलग नजरिया पेश करता है।

90 साल की उम्र में सोमवार शाम दुनिया को अलविदा कहने श्याम बेनेगल (Shyam Benegal Death) मनोरंजन और कारोबार की कश्ती में सवार सिनेमा को विचारशीलता देने के लिए हमेशा याद किये जाएंगे।

कुछ श्रद्धांजलियां:

वेटरन फिल्ममेकर के निधन पर उन्हें देशभर की फिल्म इंडस्ट्री के साथ राजनीतिक जगत से भी श्रद्धांजलि दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमिताभ बच्चन, चिरंजीवी,कमल हासन, अजय देवगन, शेखर कपूर समेत कई फिल्ममेकर्स और कलाकारों ने श्रद्धासुमन अर्पित किये।