मुंबई, एससी संवाददाता : कहते हैं, कि क़ामयाबी उन्हीं के क़दम चूमती है, जिनके दिल में रिस्क उठाने का माद्दा होता है। ज़िंदगी का ये फलसफ़ा कई दफ़ा सिल्वर स्क्रीन पर दिखाई देता रहा है, लेकिन इस साल हिंदी सिनेमा के सितारे निजी ज़िंदगी में भी रिस्क उठाते दिखाई दिए। ये बात अलग है, कि कुछ को उनके रिस्क लेने की आदत महंगी पड़ी।

aamit malangआमिर ख़ान बॉलीवुड के ऐसे एक्टर हैं, जो रिस्क उठाने में सबसे आगे रहते हैं। ‘लगान’ से लेकर ‘गजनी’ तक आमिर के क़िरदार डिफ़रेंट रहे हैं, लेकिन ‘धूम 3’ में आमिर ने लिया अपने करियर का सबसे बड़ा रिस्क। आमिर फिल्म में बने हैं चोर। उनका क़िरदार पार्शियली निगेटिव है। इसके साथ ही आमिर ने ‘धूम 3’ में किया है ब्रीथटेकिंग एक्शन, जो उन्होंने इससे पहले कभी नहीं किया। आमिर का ये रिस्क क़ामयाब रहा, और डोमेस्टिक बॉक्स ऑफ़िस पर ‘धूम 3’ एक हफ़्ते में ₹189 करोड़ का बिजनेस कर चुकी है।

cute-deepika-padukoneइस साल दीपिका पोदुकोणे ने भी उठाया रिस्क, और करियर में मॉडर्न और शहरी लड़की का रोल निभाती रहीं दीपिका ने पहली बार निभाया रस्टिक करेक्टर। ‘गोलियों की रासलीला राम-लीला’ में दीपिका नज़र आईं गुजराती गेटअप में। दीपिका का ये रिस्क लोगों को पसंद आया, वहीं ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ में उन्होंने साउथ इंडियन लड़की का देसी क़िरदार निभाया। दीपिका का ये रोल भी लोगों को अच्छा लगा। दोनों फ़िल्में कॉमर्शियली सक्सेसफुल रहीं।

M_Id_380131_Farhan_Akhtar‘भाग मिल्खा भाग’ फरहान अख़्तर के करियर की मोस्ट एक्सपेरीमेंटल फ़िल्म रही। रियल लाइफ़ हीरो मिल्खा सिंह बनने के लिए फरहान ने एक साल तक जमकर मेहनत की। अपनी फिज़िक पर काम किया, सिख गेटअप के लिए बाल लंबे किए। और जब फ़िल्म रिलीज़ हुई, तो मिल्खा की ये कहानी लोगों को पसंद आई। फरहान का रिस्क क़ामयाब रहा।

Madras_Cafe_Posterजॉन अब्राहम ऐसे एक्टर हैं, जिन्होंने मॉडलिंग की दुनिया से फ़िल्मी दुनिया में क़दम रखा है, और क़ामयाबी के साथ ख़ुद को एक्टर साबित किया, पर अब वो बन गए हैं क़ामयाब प्रोड्यूसर भी। हालांकि प्रोड्यूसर बनकर जॉन ज़्यादा डेयरडेविल हो गए हैं, और एक्सपेरीमेंटल फ़िल्में बना रहे हैं। इस साल उन्होंने प्रोड्यूस की ‘मद्रास कैफ़े’, जिसे डायरेक्ट किया शूजीत सरकार ने। ये फ़िल्म पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या पर बेस्ड पॉलिटिकल थ्रिलर थी। फ़िल्म के सब्जेक्ट की सेंस्टिविटी को देखते हुए मद्रास कैफ़े एक रिस्क थी, लेकिन जॉन का रिस्क क़ामयाबी रहा।

l_9936डायरेक्टर रेमो डिसूजा के रिस्क का नाम है ‘एबीसीडी – एनीबॉडी कैन डांस’। हिंदी सिनेमा की ये पहली फ़िल्म है, जो पूरी तरह डांसिंग पर बेस्ड है। हॉलीवुड फ़िल्म ‘स्टेप अप’ के बाद ‘एबीसीडी’ बनाना वाकई रेमो के लिए चैलेंज था। लेकिन न्यूकमर डांसर्स के साथ फ़िल्म बनाकर रेमो ने क़ामयाबी हासिल की।

इस साल सबसे बड़ा रिस्क लिया सैफ़ अली ख़ान ने, जो लेकर आए देश की पहली ज़ॉम्बी कॉमेडी फ़िल्म ‘गो गोवा गॉन’। ये saif-gogoagoneज़बरदस्त रिस्क था, क्योंकि फ़िल्म का जॉनर इंडियन ऑडिएंस के लिए बिल्कुल नया था, लेकिन सैफ़ ने डायरेक्टर्स राज निदीमोरू और कृष्णा डीके की सेंसिबिलिटीज़ पर ना सिर्फ़ भरोसा किया, बल्कि फ़िल्म को प्रोड्यूस करने का साथ एक्टिंग भी की। और सैफ़ का ये रिस्क नुक़सान में नहीं रहा।

लेकिन कुछ एक्टर्स ऐसे भी हैं, जिन्होंने इस साल रिस्क उठाया, लेकिन क़ामयाब नहीं रहे। अर्जुन कपूर ने अपने करियर की दूसरी फ़िल्म ‘औरंगज़ेब’ में ही डबल रोल करने को जोख़िम उठाया, और फ़्लाप रहे। वहीं कंगना राणावत ने ‘रज्जो’ में प्रॉस्टिट्यूट बनने का रिस्क लिया, वो भी नाक़ामयाब रहीं।