मुंबई: हिंदी सिनेमा की कहानियों में मां के रोल अहम् भूमिका निभाते रहे हैं, लेकिन कई बार ये क़िरदार उतने ही असरदार बन जाते हैं, जितने कि हीरो या हीरोइन के रोल। पेश हैं हिंदी सिनेमा की ऐसी मांएं, जो ना सिर्फ़ यादगार हैं, बल्कि बेहद पॉवरफुल भी हैं।
निरूपा रॉय: हिंदी सिनेमा के लगभग हर सुपर स्टार की मां का रोल निभाया है निरूपा रॉय ने, लेकिन सबसे यादगार क़िरदार दीवार में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर की मां का है। तीनों पर फ़िल्माया गया वो सीन, जिसमें शशि कपूर कहते हैं- मेरे पास मां है, हिंदी सिनेमा का आइकॉनिक सीन है।
नर्गिस: जिस औलाद के लिए मां पूरी दुनिया से लड़ जाती है, समाज के भले के लिए उसी औलाद को न्यौछावर भी कर सकती है। मदर इंडिया में नर्गिस का क़िरदार ऐसी ही मां का था। ये रोल नर्गिस के करियर की सबसे शानदार परफॉर्मेंसेज में से एक होने के साथ हिंदी सिनेमा के लिए भी यादगार है। बेटों के रोल निभाए राजेंद्र कुमार और सुनील दत्त ने।
दीना पाठक: शहरी मध्यम वर्गीय परिवार की मां के रोल में दीना पाठक ने कई यादगार परफॉर्मेंसेज दी हैं, लेकिन सबसे यादगार है ख़ूबसूरत की मां। उच्च मध्यम वर्गीय परिवार की उसूलों पर चलने वाली मां, जिसे औलाद से प्यार तो है, लेकिन अनुशासन उससे ज़्यादा पसंद है। ऐसी मां के रूप में दीना पाठक का सौम्य लेकिन रौबदार चेहरा आज भी यादों में ताज़ा है।
नूतन: सितम की इंतेहा, बर्दाश्त करने की हद और लड़ने का जज़्बा। ऐसी मां का यादगार क़िरदार निभाया नूतन ने फ़िल्म मेरी जंग में। ज़ुल्म जब तोड़ने देने की हद तक हावी हो जाएं, तो संघर्ष की नई इबारत लिखी मेरी जंग की मां ने। बेटे बने अनिल कपूर।
राखी: राखी ने यूं तो कई फ़िल्मों में मां के रोल निभाए, लेकिन सबसे यादगार है करण-अर्जुन में मां को रोल। अपमान सहे, ज़ुल्मों-सितम सहे, लेकिन बदला लेने की तड़प ने मां के संघर्ष को जारी रखा। शाह रूख ख़ान और सलमान ख़ान के रहते हुए राखी ने अपने अभिनय से अलग छाप छोड़ी।
फरीदा जलाल: फरीदा जलाल का नाम लेते ही याद आती है ऐसी मां, जो बड़े से बड़े ग़म को अपनी मासूम मुस्कान के साथ कम कर देती है। कुछ कुछ होता है में शाह रूख़ ख़ान की मां का रोल उनके यादगार करेक्टर्स में शामिल है। नई उम्र के एक्टर्स के साथ तालमेल बिठाना फरीदा जलाल का हुनर है।
ज़ोहरा सहगल: ज़ोहरा सहगल को हिंदी सिनेमा के दर्शकों ने ज़्यादातर दादी के रोल में देखा है, लेकिन चीनी कम में उन्होंने अमिताभ बच्चन की मां का रोल निभाया। उम्र की लक़ीरें भले ही चेहरे पर झुर्रियों की सूरत में दिखाई देती हों, लेकिन ज़िंदादिली में कोई कमी नहीं। पर्दे की सबसे उम्रदराज़ मां हैं ज़ोहरा सहगल।
किरण खेर: 21 वीं सदी आते-आते हिंदी सिनेमा की कहानियों में मां के क़िरदार अरबन होने लगे। इन क़िरदारों में अब संघर्ष की दास्तां के बजाए ह्यूमर का तालमेल होने लगा। ऐसी मां के क़िरदारों को क़ामयाबी के साथ निभाया करण खेर ने। दोस्ताना में अभिषेक बच्चन की मां के रोल में किरण का ह्यूमर देखते ही बनता है।
विद्या बालन: पर्दे पर अमिताभ बच्चन की मां बनने का मौक़ा कई एक्ट्रेसेज को मिला है, लेकिन यंगेस्ट मॉम बनी हैं विद्या बालन। पा में बिग बी बने 13 साल के ऑरो, और मां बनीं विद्या। सिंगल पेरेंट के रोल में विद्या ने कमाल का अभिनय किया।
डॉली अहलूवालिया: विकी डोनर में डॉली अहलूवालिया ने आयुष्मान खुराना की ऐसी पंजाबी मां का रोल निभाया, जो अपनी सास के साथ बैठकर शराब पीती है। इस क़िरदार ने हिंदी सिनेमा की मां को लेकर बनी एक रूढ़िवादी सोच को चकनाचूर किया। ये मां समस्याओं से जूझती है, लेकिन उसकी ज़िंदादिली में कमी नहीं आती।
सुप्रिया पाठक : मां के क़िरदार को अक्सर ममता से जोड़कर देखा जाता है। इस क़िरदार में एक करूणा की अपेक्षा रहती है, लेकिन गोलियों की रासलीला रामलीला में सुप्रिया पाठक ने मां का ऐसा दहलाने वाला रूप पेश किया, जो पर्दे पर कम देखने को मिलता है। बेटी बनीं दीपिका पादुकोणे।
अमृता सिंह: हिंदी सिनेमा में पंजाबी मांओं के क़िरदार ख़ासे लोकप्रिय रहे हैं। 2 स्टेट्स में अमृता सिंह ने अर्जुन कपूर की मां का क़िरदार निभाया। बिखरी हुई शादी, पति के तानों और बेटे के प्यार के बीच सामंजस्य बिठाने की कोशिश करती मां का ये क़िरदार यादगार है। इस मां को देखकर दर्शक कभी भावुक होता है, तो कभी उसे चिढ़ होती है।