मुंबई : देशभर में चुनावी हवा चल रही है, और इसका असर हिंदी सिनेमा पर भी दिख रहा है। इस वक़्त जो फ़िल्में रिलीज़ होने वाली हैं, उन पर चुनावी रंग इस तरह चढ़ा है, कि ज़ॉनर कई भी हो, सियासत उसमें अहम् रोल निभा रही है।
हाल ही में इंटरनेट पर रिलीज़ हुआ है कंगना राणावत की फ़िल्म ‘रिवॉल्वर रानी’ का ट्रेलर, जिसमें कंगना एक राउड़ी पॉलिटिशियन अल्का सिंह के रोल में नज़र आ रही हैं। फैशन, फन और गन को प्यार करने वाली कंगना की ये फ़िल्म सियासत के ताने-बाने से बुनी गई है। डायरेक्टर साई कबीर हैं।
‘भूतनाथ रिटर्न्स’ बच्चों की कॉमेडी फ़िल्म है, जिसमें अमिताभ बच्चन भूतनाथ बने हैं। डायरेक्टर नितेश तिवारी ने इस फ़िल्म को भी पॉलिटिकल एंगल दे दिया है, और फ़िल्म में भूतनाथ बमन ईरानी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ता दिखाई देगा। ज़ाहिर है, फ़िल्म में भूतगीरी के साथ सियासतबाज़ी भी जमकर होगी।
आम तौर पर मसाला बॉलीवुड फिल्में बनाने वाले सुभाष घई भी चुनावी मौसम में सीधी-सादी कहानी को सियासत की नज़र से देख रहे हैं। ‘कांची- द अनब्रेकेबल’ में सुभाष घई सियासत और एक गांव की लड़की के बीच टकराव की कहानी पर्दे पर लेकर आ रहे हैं। राज्य सभा के लिए नॉमिनेट मिथुन चक्रवर्ती फ़िल्म में पॉलिटिशियन के रोल में हैं।
‘यंगिस्तान’ पूरी तरह से पॉलिटिकल फ़िल्म है, जिसे नीरस होने से बचाने के लिए रोमांस का तड़का लगाया गया है। फ़िल्म में जैकी भगनानी 28 साल के प्रधानमंत्री का रोल निभा रहे हैं। फ़िल्म में कंटेंपरेरी पॉलिटिक्स की काफी तस्वीरें देखने को मिलेंगी। मसलन, जैकी के क़िरदार को राहुल गांधी से मिलता-जुलता बनाना या फिर अरविंद केजरीवाल के स्टाइल में पॉलिटिक्स करना। हालांकि, जैकी इन समानाताओं को महज़ इत्तेफाक़ा का नाम देते हैं।
हाल ही में रिलीज़ हुई ‘गुलाब गैंग’ यूं तो बुंदेलखंड के एक गैर-सियासी ग्रुप के लीडर की कहानी है, लेकिन फ़िल्म में पॉलिटिक्स की अहम् भूमिका रही। माधुरी दीक्षित ने गैंग लीडर का रोल निभाया, जबकि जूही चावला पहली बार पॉलिटिशियन के रोल में नज़र आईं, वो भी निगेटिव।
आमतौर पर पॉलिटिक्स से दूर रहते हैं सलमान ख़ान, चाहे रियल लाइफ़ हो या रील लाइफ़। पर इस साल की शुरूआत में सलमान ख़ान भी सियासत से दो-दो हाथ कर बैठे। सुहैल ख़ान डायरेक्टिड ‘जय हो’ में करप्ट पॉलिटिशियन बने डैन डेंग्जोंग्पा, जबकि सलमान बने कॉमन मैन।