मुंबई : अगर आपसे कोई ग़ल्ती हो जाए, या कुछ मिस हो जाए, तो मुंह से निकल जाता है ओ तेरी। या बचपन में दोस्तों के साथ चोर-सिपाही खेलते हुए आपने कई बार मुंह से ही गोली की आवाज़ निकाली होगी- ढिश्कियाऊं। लेकिन कभी सोचा नहीं होगा, कि ये साउंड इफ़ेक्ट्स या जज़्बात बयां करने वाले शब्द फ़िल्मों के टाइटल्स भी हो सकते हैं। हिंदी सिनेमा में आजकल ऐसे ही टाइटल फ़िल्ममेकर्स को लुभा रहे हैं।
सलमान ख़ान के बहनोई अतुल अग्निहोत्री की होम प्रोडक्शन फ़िल्म का टाइटल है ‘ओ तेरी’। इस फ़िल्म को डायरेक्ट किया है डेब्यूटेंट उमेश बिष्ट ने, जबकि पुल्कित सम्राट, न्यू कमर बिलाल और सारा जेन डायस फ़िल्म में लीड रोल्स निभा रहे हैं। शिल्पा शेट्टी की मेडन होम प्रोडक्शन फ़िल्म का टाइटल है ‘ढिश्कियाऊं’, जो गोली चलने का साउंड इफ़ेक्ट है। इस फ़िल्म को डायरेक्ट किया है सनमजीत सिंह तलवार ने।
इनके अलावा भी बहुत सी फ़िल्मों के टाइटल्स ऐसे हैं, जो ग्रीटिंग वर्ड्स हैं, या किसी फीलिंग को ज़ाहिर करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। मसलन, सलमान की फ़िल्म ‘जय हो’ को ही लीजिए, जो जीत के लिए या किसी की शान में कहा जाने वाला स्लोगन है। शाह रूख़ ख़ान की फ़िल्म ‘हैपी न्यू ईयर’ का टाइटल भी नए साल की बधाई देता है। हालांकि फरहा ख़ान डायरेक्टिड ये फ़िल्म एक चोरी की कहानी।
ओनीर डायरेक्टिड शरमन जोशी की फ़िल्म ‘सॉरी भाई’ का टाइटल सुनकर ही लगता है जैसे अपने भाई से माफ़ी रहे हों। फ़िल्म की कहानी के हिसाब से टाइटल एकदम फिट है, क्योंकि फ़िल्म में शरमन जोशी को अपने बड़े भाई की होने वाली बीवी से प्यार हो जाता है।
अनीस बज़्मी की कॉमेडी फ़िल्म है ‘वैलकम बैक’। ऐसा लगता है, जैसे किसी की वापसी पर इसका ख़ुशी से स्वागत किया जा रहा है। ये फ़िल्म सिक्वल है ‘वैलकम’ का। शायद ख़ुद को ही वैलकम बैक कह रहे हैं अनीस।
जब कोई आपका काम बिगाड़ देता है, तो आप कहते हैं ‘व्हाट द फ…’। इस फीलिंग को ध्यान में रखकर बनाई गई ‘व्हाट द फिश’, जिसमें डिंपल कपाड़िया ने लीड रोल निभाया।
2012 में रानी मुखर्जी कह रही थीं ‘अइया’, जो चौंकाने वाली इमोशंस को ज़ाहिर करने वाले शब्द है। फीमेल फैंटेसी पर बेस्ड इस फ़िल्म में रानी साउथ इंडियन एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन को देखकर अइया अइया करती हैं। 2011 में अक्षय कुमार की फ़िल्म आई ‘थैंक यू’। मैन इनफिडेलिटी पर बेस्ड इस फ़िल्म में अक्षय बिगड़े हुए पतियों को रास्ते पर लाते हैं, इसलिए सोनम उन्हें कहती हैं थैंक यू। अक्षय की होम प्रोडक्शन फ़िल्म ‘ओह माई गॉड’ का टाइटल भी इमोशंस दिखाने वाला शब्द है। ऐसे ही एक टाइटल वाली फ़िल्म ‘काश’ कई साल पहले आई थी। इंतज़ार कीजिए, क्या पता आने वाले वक़्त में फ़िल्मों के टाइटल इस तरह हों… आइला, उई उई, उफ़, हाय, धत् तेरे की, धांय-धांय, भड़ाम