Chhorii 2 Review: बिना हस्तर ‘तुम्बाड’ बनाने चाले थे विशाल फूरिया, ‘प्रधान जी’ ने दे दिया धोखा, नुसरत-सोहा भी नहीं आईं काम

Chhorii movie review. Photo- Instagram

मनोज वशिष्ठ, मुंबई। Chhorii 2 Review: मराठी फिल्म लपाछपी की रीमेक छोरी प्राइम वीडियो पर 2021 में रिलीज हुई थी। अब लगभग 4 साल बाद इसका सीक्वल छोरी 2 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुआ है।

इन चार सालों में हिंदी सिनेमा और दर्शकों का मिजाज काफी बदल चुका है। इस बदलाव का असर बड़े पर्दे पर दिखने लगा है। पुरानी लकीरों को पीटने वाली बड़ी-बड़ी फिल्में सिनेमाघरों में ढेर हो रही हैं।

मगर, यह बात ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अभी समझ में नहीं आ रही है। वो अभी भी छोरी 2 जैसी फिल्मों पर दांव लगा रहे हैं, जो आउटडेटेड हो चुकी हैं। सामाजिक संदेश का ट्विस्ट देकर खराब कहानी के ढीले पेंचों को नहीं कसा जा सकता।

छोरी में नवजात बच्चियों की हत्या का मुद्दा उठाया गया था। सीक्वल में बच्चियों के बाल विवाह को रेखांकित किया गया है, मगर इसके लिए मेकर्स ने कहानी की बलि चढ़ा दी है। छोरी 2 ना डर पैदा करती है, ना ही कोई रोमांच जगाती है।

विशाल फूरिया ने सीक्वल बनाने के लिए कहानी को ऐसा विस्तार दिया है, जिसकी शुरआत दिलचस्प लगती है, मगर क्लाइमैक्स आते-आते फिल्म चारों खाने चित हो जाती है। फिल्म खत्म होने के बाद हक्का-बक्का दर्शक सोचने लगता है- यह क्या था भाई?

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क्या है छोरी 2 की कहानी?

छोरी में दिखाई गई घटनाओं को सात साल बीच चुके हैं। साक्षी (नुसरत भरूचा) अपनी 7 साल की बेटी ईशानी (हार्दिका शर्मा) के साथ इंस्पेक्टर समर (गशमीर महाजनी) के घर में रहती है और स्कूल में पढ़ाती है।

ईशानी को स्किन डिसऑर्डर है, जिसके चलते वो सूरज की रोशनी बर्दाश्त नहीं कर सकती। लिहाजा, घर में ही बंद होकर रहती है। अचानक एक रात ईशानी और उसकी आया रानी मां को कुछ लोग किडनैप कर लेते हैं।

समर, सीसीटीवी फुटेज के जरिए पता लगाता है कि ईशानी को किडनैप करने वाले लोग साक्षी के पूर्व पति हेमंत (सौरभ गोयल) के गांव के हैं।

समर, साक्षी और कुछ सिपाहियों को लेकर वहां पहुंचता है और एक बार फिर गन्ने के खेतों की भूल-भुलैया में ईशानी को ढूंढने की कोशिश करता है।

कैसें हैं स्टोरी और स्क्रीनप्ले?

जिन लोगों ने छोरी देखी है, उन्हें छोरी 2 (Chhorii 2 Review) की शुरुआत दिलचस्प लगेगी, क्योंकि पुरानी फिल्म से इसके तार जुड़े हैं। जिन लोगों ने छोरी नहीं देखी है, उनकी सुविधा के लिए समर और साक्षी के बीच बातचीत के जरिए पहली फिल्म का रीकैप भी दिखा दिया गया है, ताकि किरदार और कहानी की पृष्ठभूमि समझ आ जाए।

लेखन की जिम्मेदारी संभाल रहे विशाल फूरिया और अजीत जगताप स्टोरी तैयार करते वक्त जमकर कन्फ्यूज हुए हैं। छोरी 2 को हॉरर बनाना है, सुपरनेचुरल थ्रिलर बनाना है या किसी कल्ट को मानने वाले समुदाय की कहानी बनाना है, दोनों की समझ में जब यह बात नहीं आई तो थोड़ा-थोड़ा मसाला सब डाल दिया। पता नहीं दर्शक को किसका स्वाद भा जाए!

ईशानी के किडनैप होने तक कहानी में दिलचस्पी बनी रहती है कि गन्नों के खेतों में लौटी कहानी आखिर क्या मोड़ लेगी। मगर, यहां से शुरू होता है एक थकाने वाला सफर, जिसमें कोई रोमांच नहीं है। कहानी में कोई रफ्तार नहीं है। लेखन के साथ अभिनय का आलस भी नजर आता है।

पिछली बार ईख के खेतों की भूल-भुलैया ने जो दहशत जगाई थी, वो इस बार कुओं के अंदर बनी सुरंगों की भूल-भुलैया पैदा नहीं कर सकी। पूरी फिल्म इन्हीं सुरंगों से होकर गुरजती है। ईशानी की किडनैपिंग का राज भी यहीं सांसें ले रहा है, जिसे सब प्रधान जी बुलाते हैं।

प्रधान जी, छोरियों को मारने वाले गांव का कोई पूर्वज है, जो सालों से जिंदा है और सूरज की रोशनी में झुलसने वाली लड़कियां उसकी ‘जर्जर ढांचे’ में जान फूंकती हैं। इस ‘ढांचे’ से बच्ची की शादी करवाने को समर्पण कहा जाता है।

इसकी जिम्मेदारी ‘दासी मां’ के पास है, जो ‘प्रधान जी’ नामक इस ढांचे की मौजूदा पत्नी है। दासी मां भी सूरज की रोशन सह नहीं पाती। दासी मां के पास कुछ परलौकिक शक्ति है। हालांकि, यह शक्ति कैसे मिली, इसकी कोई बैक स्टोरी नहीं है।

विशाल इस ट्रैक को शायद तुम्बाड के रास्ते पर ले जाना चाहते थे, मगर हस्तर जैसा खौफ प्रधान जी पैदा नहीं कर पाये। दासी मां का किरदार छोरी 2 (Chhorii 2 Review) के सस्पेंस और थ्रिल को बढ़ा सकता था, मगर लेखकों ने इसे उभरने नहीं दिया।

छोरी के तीन बच्चों की छायाकृतियों का इस्तेमाल यहां भी किया गया है, मगर उनका इस कहानी में कोई योगदान नहीं है। अगर ना भी दिखाया जाता तो छोरी 2 की कहानी पर कोई असर नहीं पड़ता। बहरहाल, कहानी को यहां तक पहुंचाने में विशाल ने खूब समय बर्बाद किया है।

टीवी शो का फील देती फिल्म

फिल्म तकनीकी रूप से कमजोर है। वीएफएक्स भी बचकाना है। कुछ दृश्यों में सिनेमैटोग्राफी का कमाल जरूर दिखता है। स्क्रीनप्ले का बहाव और दृश्यों का संयोजन कुछ ऐसा है कि फिल्म कहीं-कहीं टीवी शो की तरह नजर आने लगती है। ऐसा लगता है कि कोई सीरीज देख रहे हैं।

क्लाइमैक्स साधारण है और रोमांच पैदा नहीं करता। अलबत्ता, तीसरी किस्त के संकेत छोड़े गये हैं। क्लाइमैक्स के बाद बाल विवाह के आंकड़े दिखाकर फिल्म को एक मकसद दिया गया है।

नुसरत भरूचा के अलावा फिल्म में किसी अन्य कलाकार को अपना अभिनय दिखाने का ज्यादा मौका नहीं मिला है। सोहा अली खान ने यह फिल्म सिर्फ फीस के लिए की है तो कोई शिकायत नहीं। गशमीर महाजनी के हिस्से कुछ आया नहीं है। कहानी में उनका योगदान भी सीमित है।

फिल्म की लम्बाई ज्यादा नहीं है। देखने के लिए कहीं बाहर नहीं जाना है। कोई दूसरा बेहतर विकल्प उपलब्ध नहीं है। अगर इन सब वजहों को आप ‘टिक’ कर सकते हैं तो ‘छोरी 2’ देखी जा सकती है।

फिल्म: छोरी 2

कलाकार: नुसरत भरूचा, सोहा अली खान, गशमीर महाजनी, सौरभ गोयल आदि।

निर्देशक: विशाल फूरिया

लेखक: विशाल फूरिया, अजीत जगताप

निर्माता: अबुंदंतिया एंटरटेनमेंट

प्लेटफॉर्म: प्राइम वीडियो

अवधि: 133 मिनट

वर्डिक्ट: ** (दो स्टार)