‘बिहार के साथ न्याय नहीं करता हिंदी सिनेमा’

नितिन चंद्रा
नितिन चंद्रा
नितिन चंद्रा
मुंबई : बिहार से हिंदी सिनेमा को भले ही शत्रुघ्न सिन्हा और शेखर सुमन जैसे एक्टर्स और प्रकाश झा जैसे फ़िल्ममेकर्स मिले हों, लेकिन इस राज्य को हिंदी सिनेमा में वो सम्मान नहीं मिल सका है, जिसका वो हक़दार है।
ये शिकायत है डायरेक्टर नितिन चंद्रा की, जो अपनी फ़िल्म ‘वंस अपॉन ए टाइम इन बिहार’ से हिंदी सिनेमा में डेब्यू करने के लिए तैयार हैं। नितिन भोजपुरी सिनेमा के क़ामयाब डायरेक्टर हैं, जिनकी फ़िल्म ‘देसवा’ ना सिर्फ़ व्यावसायिक रूप से क़ामयाब रही है, बल्कि कई अवॉर्ड समारोह में फ़िल्म को सराहा गया।
नितिन का मानना है, कि हिंदी सिनेमा में बिहार की इमेज निगेटिव ज़्यादा दिखाई जाती रही है। वो अपनी पहली हिंदी फ़िल्म ‘वंस अपॉन ए टाइम इन बिहार’ से इस इमेज को बदलने की कोशिश करेंगे। फ़िल्म में बिहार को पॉजिटिविटी के साथ एक विकासशील राज्य के तौर पर दिखाया जाएगा।
‘वंस अपॉन ए टाइम’ इन बिहार की कहानी 2003 से 2009 के बीच सेट की गई है, और तीन मुख्य क़िरदारों के ज़रिए कही गई है। ये तीन नौजवान बिहार के छोटे शहर में रहते हैं, और अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। फ़िल्म में राजनीति, जातिवाद और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को हाईलाइट किया गया है।
इन तीन क़िरदारों के लिए नितिन ने तीन नए चेहरे लिए हैं। इनमें से एक एक्टर नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से हैं। दूसरे ने मशहूर एक्टिंग कोच बैरी जॉन के इंस्टीट्यूट से ट्रेनिंग ली है, जबकि तीसरे एक्टर क्रांति प्रकाश झा हैं, जो मुंबई में मॉडलिंग करते हैं। फ़िल्म में आशीष विद्यार्थी और पंकज झा भी अहम् क़िरदारों में नज़र आएंगे।
‘वंस अपॉन ए टाइम इन बिहार’ का संगीत डेब्यूटेंट आशुतोष सिंह ने दिया है। गाने हिंदी, अवधी और भोजपुरी भाषाओं में हैं। इन गानों को सोनू निगम, श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, स्वानंद किरकिरे ने आवाज़ दी है। फ़िल्म इसी साल रिलीज़ के लिए स्लेडिट है।