शायोनी गुप्ता, मुंबई। जाने-माने नाटककार, थिएटर शख़्सियत और अभिनेता गिरीश कर्नाड का लम्बी बीमारी के बाद सोमवार सुबह बेंगलुरु में निधन हो गया। वो 81 साल के थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
नाटक लेखन के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार जीत चुके गिरीश कर्नाड ने अपना पहला प्ले ययाति 1961 में लिखा था। उस वक़्त वो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे। उनका दूसरा प्ले तुग़लक़ (1964) 14वीं सदी के सुल्तान मुहम्मद बिन तुग़लक़ पर आधारित था। यह आज भी उनकी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक माना जाता है। एलिक पदमसी निर्देशित इस नाटक के मंचन में कबीर बेदी ने शीर्षक भूमिका निभायी थी, जिसके बाद उनका फ़िल्मी करियर टेक ऑफ़ हुआ था।
गिरीश कर्नाड ने 1970 में कन्नड़ फ़िल्म संस्कार से सिनेमा में बतौर एक्टर डेब्यू किया था। हिंदी सिनेमा में उन्होंने 1974 की फ़िल्म जादू का शंख से डेब्यू किया था, जिसे सई परांजपे ने निर्देशित किया था। सत्तर के दशक में आयी कई कला फ़िल्मों में गिरीश कर्नाड विभिन्न रोल निभाते हुए देखे गये। श्याम बेनेगल की निशांत और मंथन, बासु चैटर्जी की स्वामी जैसी फ़िल्मों में उन्होंने यादगार भूमिकाएं निभायीं। कई मसाला फ़िल्मों में भी गिरीश कर्नाड ने काम किया।
हिंदी सिनेमा के पर्दे पर उनकी आख़िरी स्क्रीन प्रेज़ेंस टाइगर ज़िंदा है रही, जिसमें गिरीश रॉ चीफ डॉ. शिनॉय की भूमिका में नज़र आये। इसके प्रीक्वल एक था टाइगर में भी गिरीश कर्नाड़ ने यही किरदार निभाया था। 1987 में आये लोकप्रिय धारावाहिक मालगुड़ी डेज़ में मुख्य चरित्र स्वामी के पिता के किरदार में उनकी यादें आज भी ताज़ा हैं।
साहित्य और सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए गिरीश कर्नाड को 1974 में पद्मश्री और 1992 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। 1999 में साहित्य और थिएटर में योगदान के लिए उन्हें प्रतिष्ठि ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया था। गिरीश कर्नाड़ को कला, साहित्य और राजनीतिक जगत द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है।
Sad to hear of the passing of Girish Karnad, writer, actor and doyen of Indian theatre. Our cultural world is poorer today. My condolences to his family and to the many who followed his work #PresidentKovind
— President of India (@rashtrapatibhvn) June 10, 2019
Girish Karnad will be remembered for his versatile acting across all mediums. He also spoke passionately on causes dear to him. His works will continue being popular in the years to come. Saddened by his demise. May his soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 10, 2019
With the demise of noted actor, writer and Jnanpith Awardee Girish Karnad, we have lost a great personality of Indian cinema, especially theatre.
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) June 10, 2019
He was also associated with Marathi theatre.
My humble tribute..
Deepest condolences to his family, friends & fans !#GirishKarnad
RIP #GirishKarnad sir.. one actor whose inherent goodness reflected in his eyes. The thorough gentleman. Exceptional playwright.Swami ratnadeep manthan embedded in my childhood memories. A gem we lost today.
— Divya Dutta (@divyadutta25) June 10, 2019
Mr.Girish Karnad, His scripts both awe and inspire me. He has left behind many inspired fans who are writers. Their works perhaps will make his loss partly bearable.
— Kamal Haasan (@ikamalhaasan) June 10, 2019
गिरीश कर्नाड…..
— Nana Patekar (@nanagpatekar) June 10, 2019
व्रतस्थ रंगकर्मीला श्रध्दा पूर्वक वंदन
Deeply saddened to learn about #Girish Karnad. Havent yet been able to speak with his family. Its been a friendship of 43 years and I need the privacy to mourn him. I request the media to kindly excuse me from giving quotes. pic.twitter.com/XMTxTmHXIw
— Azmi Shabana (@AzmiShabana) June 10, 2019
Apart from being an actor in Tiger Zinda Hai, he also coincidentally won the Sahitya Academy, Sahitya Natak Academy, Gnanpith, National Award, Filmfare, Padmashri and Padma Bhushan. pic.twitter.com/eM8ixAuVBv
— Srijit Mukherji (@srijitspeaketh) June 10, 2019
Deeply saddened by the passing of playwright Girish Karnad. My biggest break in theatre was playing the title role in his “Tughlaq”, directed by Alyque Padamsee, which led me into the film industry in 1970s. One of India’s great playwrights, immortalised by his creativity. RIP. https://t.co/GOEw42PXPW
— KABIR BEDI (@iKabirBedi) 10 June 2019