मुंबई: क्लीवेज शो को लेकर अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया और दीपिका पादुकोणे के बीच चल रही लड़ाई अब नए मुक़ाम पर पहुंच गई है। मुंबई में अख़बार ने अपने एंटरटेनमेंट सप्लीमेंट बॉम्बे टाइम्स के पहले पन्ने पर दीपिका को उनकी फेसबुक पोस्ट का जवाब दिया है, और इसे नाम दिया है- आवर प्वाइंट ऑफ़ व्यू (हमारा दृष्टिकोण)।इस लेख में अख़बार ने दीपिका के विरोध को गैरज़रूरी और पब्लिसिटी का हथकंडा बताया है। साथ ही अख़बार ने दीपिका के कई ऐसे फोटो छापे हैं, जिनमें वो रियल लाइफ़ में क्लीवेज दिखा रही हैं।
शुक्रवार को दीपिका ने अपने फेसबुक नोट में लिखा था- “एक करेक्टर की ज़रूरत के हिसाब से मैं पूरे कपड़े पहनती हूं या पूरी तरह न्यूड हो सकती हैं, और ये मेरी च्वाइस है, कि मैं इसे स्वीकार करूं या नहीं। ये एक रोल है, रियल नहीं, और करेक्टर को ठीक तरह से पेश करना मेरा काम है।”
इसके जवाब में अख़बार ने लिखा है- “दीपिका हम आपके रील वर्सेज रियल पहलू को मानते हैं, लेकिन उसका क्या, जब आपने अपने जिस्म की ऑफ़ स्क्रीन नुमाइश की है- स्टेज पर डांस के दौरान, मैग़ज़ीन कवर्स के लिए पोज़ करते हुए या प्रोमोशनल फंक्शंस में फोटो खि़ंचवाते वक़्त । उस वक़्त आप कौन सा रोल निभा रही होती हैं? फिर ये दोगलापन क्यों? इससे भी ज़्यादा दोगलापन तो उन मीडिया संस्थानों ने दिखाया है, जिन्होंने इस मुद्दे पर सपोर्ट करने के बहाने दीपिका के क्लीवेज को दिखाया। निश्चित तौर पर, वो दीपिका की उन तस्वीरों (क्लीवेज वाली) का इस्तेमाल किए बिना ख़बर को दिखा सकते थे।”
(Deepika, we accept your reel vs real argument, but what about all the times, and there have been many, when you have flaunted your body off screen — while dancing on stage, posing for magazine covers, or doing photo ops at movie promotional functions? What ‘role’ do you play there? So why the hypocrisy? What’s equally hypocritical is that several media outlets have freely displayed Deepika’s cleavage even as they sounded all outraged on her behalf. Surely they could have reported the story without those pictures?)
अख़बार ने दीपिका के फेसबुक नोट में लिखे गए एक और कमेंट को जवाब दिया है। दीपिका ने लिखा था- “हां ये सही है, कि फ़िल्म में किसी मेल एक्टर की 8 पैक एब्स देखकर हम उससे प्रभावित होते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं, कि जब वो पब्लिस स्पेस में आए तो हम उसके क्रॉच (लिंग) पर ज़ूम करके एक घटिया हेडलाइन बना दें।” अख़बार ने इसके जवाब में लिखा है-
“दीपिका, हम किसी औरत की वेजाइना (योनि) पर ज़ूम नहीं करते हैं या उसके निपल्स नहीं दिखाते हैं। अख़बार होने के नाते हम ये ख्याल रखते हैं, कि अगर ये किसी तस्वीर में दिख रहे हैं, तो उन्हें पिक्सलेट कर दें, लेकिन आपका क्लीवेज उतना ही सेक्सी है, जितनी की शाह रूख़ की 8 पैक एब्स। दुनियाभर में ऑनलाइन मीडिया की प्रकृति के हिसाब से एक स्टोरी की हेडलाइन हो सकती है- OMG… Shah Rukh’s 8 pack sexy abs!!!”
(Yes we marvel, envy and drool over a male actors 8pack abs in a film, but do we zoom in on the mans ‘crotch’ when he makes a public appearance and make that ‘cheap headlines’??!!” Deepika, just for the record, we do not zoom into a woman’s vagina or show her nipples. As a newspaper, we take every care to ensure that we pixelate them if they show up in a picture, but your cleavage is as sexy as Shah Rukh Khan’s ‘8-pack’ abs. Given the nature of the online media worldwide, there could well have been a story headlined, “OMG…Shah Rukh’s 8-pack sexy abs!!!)
फाइनली अख़बार ने दीपिका के विरोध को ‘फाइंडिंग फेनी’ के प्रोमोशंस के लिए पब्लिसिटी स्टंट बताते हुए लिखा है- “ट्वीटर पर अपनी बात रखने के बाद आपने हर मैसेज को रीट्वीट किया और जितने इंटरव्यू संभव हो सके, आपने दिए। इसने निश्चित तौर पर आपको बड़ी पब्लिसिटी दिलवाई, जो ठीक उस वक़्त हुई जब आपकी फ़िल्म रिलीज़ हो रही थी। ये वीडियो (क्लीवेज शो वाला) यू ट्यूब पर एक साल से पड़ा है, विरोध अब क्यों?”
( You’ve also written, ”Everyone is entitled to an opinion. I have little interest to take this further as it might get more attention than it deserves and might be further misconstrued and twisted to sell more undeserved headlines.” Despite having made your point on Twitter, you have chosen to re-tweet every message and given as many interviews as you could. This has obviously been great publicity for you, timed perfectly with the release of your new film. The video’s been on YouTube for a year, why object now?)
ज़ाहिर है, कि अख़बार ने दीपिका पादुकोणे के विरोध पर चुप ना बैठते हुए जवाब दिया है। सिनेमा की दुनिया काफी हद तक मीडिया के रहमो-करम पर टिकी है। सितारों और मीडिया को एक-दूसरे की ज़रूरत कहा जाता है। अब देखते हैं, कि अख़बार से ये लड़ाई दीपिका कब तक एफोर्ड कर पाती हैं।