रणवीर और अली दिल से हीरो हैं: गोविंदा

किल दिल में गोविंदा।

kill dil

मुंबई: क़रीब पांच साल बाद गोविंदा बड़े पर्दे पर वापसी कर रहे हैं। इस बार एक ही महीने में उनकी दो फ़िल्में रिलीज़ हो रही हैं। सैफ़ अली ख़ान के साथ वो ‘हैपी एंडिंग’ में काम कर रहे हैं, तो ‘किल दिल’ में वो रणवीर सिंह और अली ज़फ़र के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर कर रहे हैं। ‘किल दिल’ को लेकर ची-ची चर्चा में हैं। क्योंकि पहली बार वो विलेन बने हैं, और पहली बार यशराज बैनर के साथ काम कर रहे हैं। सिंसियर्ली सिनेमा से गोविंदा की ख़ास बातचीत-

यशराज फ़िल्म्स के साथ पहली बार काम कर रहे हैं? क्या उम्मीदें हैं?

गोविंदा- आदि (आदित्य चोपड़ा) को धन्यवाद दूंगा। कभी योग नहीं हुआ। 28-29 साल बाद ऐसा समय आया है। बहुत तारीफ़ सुनी थी। यशराज फ़िल्म्स में काम करने के बाद ऐसा लगा, कमाल हैं ये लोग। इस पारी की शुरुआत मंत्र से करता हूं- “ॐ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव। यद् भद्रं तन्न आ सुव।” इसका अर्थ है, जो शुभ है और अच्छा है वो हमें मिले। शुभ के साथ लाभ आता है, और लाभ के साथ शुभ आता है, तो ज़्यादा अच्छा लगता है। हालांकि विलेन का रोल किया है। आप जिस वक़्त मुझे सिनेमा में देखेंगे, आप सोच भी नहीं सकते, आप लोगों को ऐसा गोविंदा दिखाई देगा।

आपने अपने करियर में कई क़ामयाब फ़िल्मों में काम किया है, लेकिन कभी यशराज बैनर से जुड़ने का मौक़ा नहीं मिला। ऐसा क्यों?

गोविंदा- मुझे लगता है, कि इसकी सबसे बड़ी वजह भाग्य ही हो सकती है। मैं जिस वक़्त आया, मैं सोच नहीं सकता था, कि 49 फ़िल्म्स साइन कर लूंगा। जिस वक़्त 49 फ़िल्म्स साइन कर लीं, आदरणीय यश जी के यहां से मुझे मैसेज आया, तो मैंने कहा सर मैं तो इस तरह काम कर रहा हूं, कि आपके यहां उस तरह से काम कभी होता नहीं है। जिस वक़्त मैं फ्री हुआ उन लोगों की एक अलग से टीम बन गई थी। मेरी अपनी टीम बन चुकी थी। और दोनों टीम साथ में काम कर पाएं ऐसा भी माहौल नहीं बना। तो इतने साल निकल गए।

किल दिल में विलेन के रोल को एक्सेप्ट करना कितना मुश्किल था?

गोविंदा- जब ये फ़िल्म ऑफ़र हुई तो मैंने मना कर दिया था। मैंने शाद (डायरेक्टर शाद अली) से कहा, कि मुझे लगता नहीं मैं विलेन कर पाऊंगा। जो फ़िल्म मेरे दिल को छूती नहीं है, तो मैं नहीं पर पाता हूं। थोड़े दिन निकल गए, तो शाद ने फिर पूछा, तो मैंने कहा- शाद भैया मुझसे ये होगा नहीं। मैंने निगेटिव रोल कभी किया नहीं। मैं निगेटिव रोल वाला रियल में नहीं हूं। 14-15 दिन बाद फिर मुलाक़ात हो गई। सुनीता साथ में थीं। उन्होंने शाद से कहा, कि ये कुछ कर नहीं रहे। सुनीता के समझाने पर मैं तैयार हो गया।

डांस और कॉमेडी के लिए मशहूर हैं। विलेन बनने में क्या मुश्किलें आईं?

गोविंदा- जो क़िरदार आप निभा रहे होते हैं, उसकी वजह होती है, कि वो वैसा कैसे हो गया। मुझे जब ये रोल समझाया गया, तो उस क़िरदार के दिलो-दिमाग में कोई निगेटिविटी है नहीं। उसे लगता है, कि ज़िंदगी ऐसी ही होती है, और प्यार-व्यार में कुछ रखा नहीं है। जो काम मिला है, काम कीजिए। जो उसे लगता है, वही सही है।

रणवीर सिंह और अली ज़फ़र जैसे यंगस्टर्स के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

गोविंदा- रणवीर और अली दिल से हीरो हैं। बामोहब्बत, बातमीज़, बानसीब जो होता है, अल्लाह उसे नवाज़ता है। इनके दिल में ये चाह है, कि ये कमाल करें। वो नज़र आता है। एक ज़माने में ऐसी पर्सनैलिटीज़ फैशन वर्ल्ड में हुआ करती थी। आज हर हीरो की वैसी है। इन लोगों की पर्सैनिलिटी ऐसी है, कि दुनिया में कहीं चले जाएं, कमाल लगेंगे। ये क़ामयाब हैं, और क़ामयाब होंगे। दुआ करता हूं, ये ऐसे ही रहें, जैसे अब हैं। क़ामयाब अच्छा है, क़ामयाबी थोड़ा अच्छी नहीं होती। कभी सिर पर ना चढ़ें।