Tumbbad 2: ‘समय का पहिया गोल है, हस्तर फिर आएगा’, तुम्बाड की Re-release के साथ Sequel का एलान

मुंबई। 2018 में आई तुम्बाड शुक्रवार को छह साल बाद सिनेमाघरों में लौटी। इस हॉरर थ्रिलर फिल्म में काफी फैंस ने दिलचस्पी दिखाई। तुम्बाड हिंदी सिनेमा की उन फिल्मों में गिनी जाती है, जिन्हें उनकी खूबियों के बावजूद पहचान नहीं मिली। इस कल्ट फिल्म के फैंस के लिए अब खुशखबरी है।

शनिवार को मेकर्स ने इसके सीक्वल की घोषणा कर दी। फिल्म के निर्माता और मुख्य किरदार निभाने वाले कलाकार सोहम शाह ने सोशल मीडिया के जरिए तुम्बाड 2 का एलान किया। सोहम ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें विनायक और उसके बेटे पांडुंरग को दिखाया गया है। सोहम की चेतावनीभरी आवाज सुनाई देती है- समय का पहिया गोल है। जो बीत गया, वो फिर लौटेगा। दरवाजा भी एक बार फिर खुलेगा। अंत में प्रलय फिर आएगा सुनाई देता है।

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सीक्वल को लेकर सोहम ने एक स्टेटमेंट में कहा- तुम्बाड 2 के साथ सिनेमाई अनुभव को और दिलचस्प बनाया जाएगा। इसमें गहराई और बारीकी से दिखाया जाएगा, लालच जब असीम हो जाता है तो उसके क्या परिणाम क्या होते हैं।

राही अनिल बर्वे निर्देशित तुम्बाड हॉरर और माइथोलॉजी का बेहतरीन मेल है, जिसमें महाराष्ट्र की लोककथा को कहानी का आधार बनाया गया है। इसकी कहानी 20वीं सदी में रत्नागिरि जिले के तुम्बाड गांव में दिखाई गई है। तुम्बाड फिल्म की कहानी के बीच कैसे पड़े, इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है।

कागज से पर्दे तक तुम्बाड का सफर

1993 में अनिल को उनके एक दोस्त ने मराठी लेखक नारायण धड़प की कहानी के बारे में बताया था। 1997 में अनिल जब 18 साल के साथ उन्होंने तुम्बाड का पहला ड्राफ्ट लिखा था। 2009 से 2010 के बीच उन्होंने फिल्म को लेकर 700 पेज का स्टोरी ड्राफ्ट तैयार कर लिया था। फिल्म को सात प्रोडक्शन हाउसेज ने ठुकराया था और तीन बार बनते-बनते रह गई।

तमाम मुश्किलों और चुनौतियों के बाद 2012 में फिल्म की शूटिंग पूरी हुई, मगर एडिटिंग टेबल पर फिल्म अनिल और सोहम को पसंद नहीं आई। इसके बाद फिल्म दोबारा लिखी और शूट की गई। 2015 में तुम्बाड बनकर तैयार हुई थी।

75वें वेनिस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के क्रिटिक्स वीक सेक्शन में फिल्म का प्रीमियर हुआ, जिसे खूब सराहना मिली। इसके बाद कुछ और फिल्म फेस्टिवल्स में होते हुए तुम्बाड 12 अक्टूबर 2018 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी।

तुम्बाड के फैंस आज भी इस बात से हैरान रहते हैं कि फिल्म को ऑस्कर अवॉर्ड्स में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि क्यों नहीं बनाया गया था। फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में तुम्बाड ने बेस्ट सिनेमैटोग्राफी, बेस्ट आर्ट डायरेक्शन और बेस्ट साउंड डिजाइन श्रेणियों में पुरस्कार जीते थे।