Inside The Story
* कब और कैसे देखें राज कपूर की फिल्में?
* क्या रखी गई है टिकटों की कीमत?
* कितने दिन चलेगा फिल्म समारोह?
मुंबई। Raj Kapoor 100th Birth Anniversary: भारतीय सिनेमा के पहले शोमैन कहे जाने वाले लीजेंड्री फिल्मकार राज कपूर की 14 दिसम्बर को 100वीं जयंती मनाई जा रही है। इस मौके को यादगार बनाने के लिए आरके फिल्म्स, फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन, एनएफडीसी, एनएफएआई एंड सिनेमाज मिलकर समारोह का आयोजन कर रहे हैं।
कब और कैसे देखें फिल्में?
इसका शीर्षक ‘राज कपूर 100- सेलिब्रेटिंग द सेंटेनरी ऑफ द ग्रेटेस्ट शोमैन’ (Raj Kapoor 100th Birth Anniversary) है। यह तीन दिवसीय उत्सव 13 दिसंबर को शुरू होगा और 15 दिसंबर तक जारी रहेगा।
इसके तहत 40 शहरों और 135 सिनेमाघरों में राज कपूर की 10 फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी। स्क्रीनिंग पीवीआर-आइनॉक्स और सिनेपोलिस सिनेमाघरों में होगी। खास बात यह है कि हर सिनेमा घर में टिकट की कीमत मात्र ₹100 रखी गई है, ताकि हर कोई इस जादुई सफर का हिस्सा बन सके।
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Raj Kapoor 100th Birth Anniversary के इस उत्सव में राज कपूर की जिन फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा, वो इस प्रकार हैं:
- आग (1948)
- बरसात (1949)
- आवारा (1951)
- श्री 420 (1955)
- जागते रहो (1956)
- जिस देश में गंगा बहती है (1960)
- संगम (1964)
- मेरा नाम जोकर (1970)
- बॉबी (1973)
- राम तेरी गंगा मैली (1985)
Raj Kapoor ने फिल्मों से जीते दिल और पुरस्कार
पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में 14 दिसम्बर, 1924 को जन्मे राज कपूर को सिनेमा की कला अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के जरिए विरासत में मिली, जो खुद एक थिएटर पर्सनैलिटी थे।
राज कपूर के सिनेमा ने सिर्फ मनोरंजन नहीं किया, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर छाप भी छोड़ी। अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के कदमों पर चलते हुए राज कपूर ने अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने इंकलाब (1935) में एक बाल कलाकार के रूप में काम किया। इसके बाद 1948 में उन्होंने आरके फिल्म्स स्टूडियो की स्थापना की और कई ऐतिहासिक फिल्में बनाई।
उनकी फिल्मों में आजादी के बाद के भारत के आम आदमी के सपने, गांव और शहर के बीच का संघर्ष और भावनात्मक कहानियां जीवंत हो उठती थीं। आवारा (1951), श्री 420 (1955), संगम (1964) और मेरा नाम जोकर (1970) जैसी फिल्में आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में बसी हुई हैं।
राज साहब चार्ली चैपलिन से प्रभावित और प्रेरित थे। ‘आवारा’ में उनका किरदार चार्ली को समर्पित था, जो दुनिया भर में लोकप्रिय हुआ, खासकर सोवियत संघ में।
तीन नेशनल अवॉर्ड्स और कई फिल्मफेयर पुरस्कारों के साथ राज कपूर को पद्म भूषण (1971) और दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (1988) से सम्मानित किया गया था।
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