Akshay Kumar’s New Film: कौन थे C Sankaran Nair, जिनकी बायोपिक में अक्षय निभा रहे लीड रोल?

Akshay Kumar and Sir C Sankaran Nair. Photo- Instagram
खास बातें:
  • सरफिरा के बाद अक्षय की एक और बायोपिक
  • ब्रिटिश शासन के दौर की है कहानी
  • बिना टाइटल रिलीज डेट की घोषणा

मुंबई। जलियांवाला बाग नरसंहार ब्रिटिश शासन की ऐसी घटना थी, जिसने स्वतंत्रता के लिए चल रहे आंदोलन को एक निर्णायक दिशा दी। इस जघन्य हत्याकांड का बदला क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह ने लंदन में पंजाब के पूर्व गवर्नर माइकल ओ’डायर की हत्या करके लिया था।

जलियांवाला बाग नरसंहार की घटना से एक ऐसे क्रांतिकारी का नाम भी जुड़ा है, जो उस वक्त ब्रिटिश सरकार में थे। इस घटना ने उन्हें अंदर तक हिलाकर रख दिया और फिर उन्होंने इस नरसंहार से जुड़े तथ्यों को बाहर लाने की ऐसी मुहिम छेड़ी कि पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’डायर ने उन पर मानहानि का मुकदमा ठोक दिया था।

यह क्रांतिकारी थे बैरिस्टर सर सी. शंकरन नायर, जिनकी बायोपिक लेकर आ रहे हैं करण जौहर।

बायोपिक में जलियांवाला बाग की कहानी

फिल्म का शीर्षक अभी तय नहीं किया गया है। शुक्रवार को धर्मा प्रोडक्शंस ने सोशल मीडिया के जरिए फिल्म की रिलीज डेट की घोषणा की, जिसके मुताबिक, यह फिल्म 14 मार्च 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।

फिल्म का निर्देशन करन सिंह त्यागी ने किया है, जबकि अक्षय कुमार, आर माधवन और अनन्या पांडेय मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे।

धर्मा ने अपनी पोस्ट में बताया है कि फिल्म सी शंकरन नायर के जीवन की घटनाओं से प्रेरित है, जिन्हें द केस दैट शुक द एम्पायर किताब से लिया गया है। यह किताब रघु पलात और पुष्पा पलात ने लिखी है। बता दें, बैंकर रघु पलात सी शंकरन नायर के परपोते हैं और पुष्पा पलात उनकी पत्नी हैं।

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कौन थे सर सी शंकरन नायर?

सर सी शंकरन नायर का जन्म 11 जुलाई 1857 को मद्रास प्रेसीडेंसी के मालाबार जिले में स्थित पालघाट में हुआ था। वो वकील और स्टेट्समैन थे। 1906 से 1908 तक मद्रास के एडवोकेट जनरल रहे थे। 1908 से 19015 तक हाई कोर्ट ऑफ मद्रास के जस्टिस रहे। 1915 से 1919 तक वो वाइसरॉय की एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य रहे थे।

13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार के बाद सर नायर ने वाइसरॉय की काउंसिल से इस्तीफा दे दिया था। नायर उस दौर में राजनीतिक तौर पर भी सक्रिय थे। 1897 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था।

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1922 में उन्होंने गांधी एंड एनार्की किताब लिखी थी, जो बेहद चर्चित रही। इस किताब में उन्होंने पंजाब में ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचारों और जलियांवाला बाग के लिए सीधे तौर डायर को जिम्मेदार माना था, क्योंकि लेफ्टिनेंट गवर्नर के हाथ में सब कुछ था। इ

सके खिलाफ डायर ने नायर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया था। उस मुकदमे में शंकरन नायर हार गये, मगर इस केस के जरिए जलियांवाला बाग नरसंहार की कई ऐसी बातें लोगों तक पहुंचीं, जिनके बारे में किसी को नहीं पता था।

इस मुकदमे की सुनवाई लंदन की हाई कोर्ट में लगातार पांच हफ्तों तक चली थी।