मुंबई। हिंदी सिनेमा के पर्दे पर युद्ध से प्रेरित तमाम कहानियां दिखाई गई हैं। 1971 के भारत-पाक युद्ध ने सबसे ज्यादा फिल्मकारों को प्रभावित किया है। हालांकि, भारत-चीन युद्ध पर फिल्ममेकर्स की नजर कम ही पड़ी है। अब इस युद्ध से निकली एक अनकही कहानी फरहान अख्तर लेकर आ रहे हैं, जिसका शीर्षक है- 120 बहादुर। भारतीय सैनिकों के अदम्य पराक्रम को दिखाती इस फिल्म की घोषणा मोशन पोस्टर के साथ की गई।
फरहान ने मोशन पोस्टर के साथ एक नोट लिखा है, जिसमें फिल्म के बारे में जानकारी दी गई है। फरहान की पोस्ट के मुताबिक, यह कहानी है परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह की, जिन्होंने अपने जांबाजों के साथ 1962 के भारत-पाक युद्ध को एक इतिहास में दर्ज करवा दिया था।
मेजर शैतान सिंह की कहानी सम्मान की बात
फरहान ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट में लिखा-
13 कुमायूं रेजीमेंट की चार्ली कम्पनी के परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह भाटी और उनके सिपाहियों की कहानी पेश करना एक सम्मान की बात है। यह लड़ाई रेजांग ला बैटल के नाम से जानी जाती है, जो 18 नवम्बर 1962 को भारत-पाक युद्ध के दौरान लड़ी गई थी। यह उल्लेखनीय पराक्रम, हीरोइज्म और खुद को कुर्बान करने की कहानी है, जिसे विपरीत हालात में लड़ा गया था। हम भारतीय सेना के आभारी हैं, जिन्होंने साहस की इस अनोखी कथा को पर्दे पर लाने में हमारी मदद की। हम आज से फिल्म का निर्माण शुरू कर रहे हैं।
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फरहान की कम्पनी एक्सेल एंटरटेनमेंट फिल्म का निर्माण कर रही है, जबकि रजनीश राजी घई निर्देशन कर रहे हैं। फरहान फिल्म में मेजर शैतान सिंह भाटी के रोल में दिखाई देंगे।
क्या थी रेजांग ला की लड़ाई?
मेजर शैतान सिंह की कम्पनी लदाख के रेजांग ला में तैनात थी। 18 नवम्बर 1962 की सुबह, चीनी फौज ने हमला कर दिया। सामने से कई हमले करने के बाद जब चीनी कुछ नहीं कर सके तो उन्होंने पीछे से आक्रमण किया। भारतीय फौज ने आखिरी गोली तक डटकर मुकाबला किया, मगर चीनियों की तादाद अधिक होने के कारण उन्हें रोकने में कामयाब नहीं हो सके।
युद्ध के दौरान मेजर शैतान सिंह ने हर पोस्ट पर खुद जाकर डिफेंस तैयार करने के साथ अपने साथियों की हौसलाअफजाई की। बिना किसी कवर के एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट तक जाने के दौरान वो बुरी तरह जख्मी हो गये थे, जिसकी वजह से बाद में शहीद हुए।
कौन थे मेजर शैतान सिंह भाटी?
राजस्थान के राजपूत परिवार में जन्मे मेजर शैतान सिंह के पिता हेम सिंह फौज में लेफ्टिनेंट कर्नल थे। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस में भारतीय सेना की नुमाइंदगी की थी। उन्हें ब्रिटिश सरकार ने ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर सम्मान से नवाजा था। मेजर शैतान सिंह ने जोधपुर स्टेट में ऑफिसर के पद पर ज्वाइन किया था। जोधपुर स्टेट का भारत में विलय होने के बाद उनका ट्रांसफर कुमायूं रेजीमेंट में कर दिया गया था।