मुंबई: सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फ़िल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) यानि सेंसर बोर्ड की कैंची की धार बेलगाम होने के साथ तेज़ भी होती जा रही है। ताज़ा मामला सामने आया है होमी अदजानिया की फ़िल्म ‘फाइंडिंग फेनी’ का, जिसमें बोर्ड ने वर्जिन शब्द पर आपत्ति जताते हुए इसे हटाने को कहा है।
दरअसल, फ़िल्म में हीरोईन दीपिका पोदुकोणे एक जगह अर्जुन कपूर से कहती हैं- आई एम वर्जिन। सेंसर बोर्ड को ये डायलॉग अश्लील लगा, और उन्होंने इसे हटाने के लिए कहा है। इसके अलावा फ़िल्म के एक सीन में पंकज कपूर को डिंपल कपाड़िया की बम घूरते हुए दिखाया गया है। सेंसर बोर्ड ने इसे टोन डाउन करने के लिए बोला है।
दिलचस्प बात ये है, कि 1998 में रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘दिल से’ में प्रीति ज़िंटा शाह रूख़ ख़ान से पूछती हैं- आर यू वर्जिन। वहीं, ‘2 स्टेट्स’ में लव मेकिंग के बाद आलिया को अर्जुन से पूछते हुए दिखाया है- क्या उन्होंने पहली बार किया है? पर सेंसर बोर्ड ने उसे नहीं हटाया।
‘फाइंडिंग फेनी’ के केस में डायरेक्टर होमी को कहा गया है, कि अगर उन्हें यूए सर्टिफिकेट चाहिए, तो ये बदलाव करने पड़ेंगे।
सर्टिफिकेशन की तीन केटेगरीज़ बननी चाहिए
फ़िल्ममेकर्स काफी वक़्त से सर्टिकिकेशन की तीन केटेगरीज़ बनाने की मांग कर रहे हैं, जो उम्र के हिसाब से हों। फ़िल्ममेकर विशाल भारद्वाज के मुताबिक़, पिछले आठ सालों से सरकार से मांग की जा रही है, कि फ़िल्म सर्टिफिकेशन की तीन केटेगरीज़ बना दी जाएं- 12 प्लस, 15 प्लस और 18 प्लस। कई फ़िल्में ऐसी होती हैं, जिन्हें 12 और 15 साल के बच्चे देख सकते हैं, लेकिन उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन ना होने से वो नहीं देख पाते। फ़िल्म बनाते वक़्त भी प्रोड्यूसर्स का डंडा रहता है, कि सेटेलाइट राइट्स भी बेचने हैं। ऐसे में फ़िल्ममेकर्स को कई तरह के बंधनों के बीच काम करना पड़ता है, जिससे क्रिएटिविटी प्रभावित होती है।