मुंबई। 25 Years Of Hrithik Roshan: साल 2000 कई मायनों में स्पेशल रहा। बीसवीं सदी को विदा होते हुए देखा। इक्कीसवीं सदी का बाहें पसारकर स्वागत किया। देश-दुनिया के साथ फिल्म जगत के लिए भी नई सदी कई मायनों में खास रही। 2000 वो साल था, जब बॉलीवुड की खानत्रयी (आमिर, सलमान, शाह रुख) हिंदी सिनेमा के दर्शकों के दिलों में जगह बना चुकी थी।
मनोरंजन की पूरी दुनिया की ये तीनों धुरी थे। अक्षय कुमार, अजय देवगन, सुनील शेट्टी जैसे सितारे भी अपनी छाप छोड़ रहे थे। सनी देओल और संजय दत्त वरिष्ठों की श्रेणी में जा चुके थे। इन सबके बीच एक ऐसा सितारा उभरा, जिसकी स्क्रीन प्रेजेंस हिंदी सिनेमा में गढ़ी गई हीरो की परिभाषा पर खरी उतरती थी।
लम्बा कद, गोरा रंग, सुतई नाक, गठा हुआ बदन, डांस में लचीलापन और भूरी आंखें। 14 जनवरी 2000 को जब कहो ना प्यार हुई तो जनता ने इस सितारे को सिर-आंखों पर बैठाया। फिल्म सुपर हिट रही और इंडस्ट्री को मिला नई सदी का पहला सितारा- ऋतिक रोशन, जिसमें सुपर सितारा बनने के सभी गुण मौजूद थे।
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नेपोटिज्म की बहस पर भारी ऋतिक का हुनर
फैंस का प्यार बढ़ा तो बॉलीवुड का ग्रीक गॉड कहा जाने लगा। हिंदी सिनेमा के लीजेंड्री संगीतकार रोशन के पोते और अभिनेता से निर्देशक बने राकेश रोशन के बेटे ऋतिक। यह वो वक्त था, जब हिंदी सिनेमा नेपोटिज्म की बहसों से आजाद था।
किसी नये स्टार किड का दर्शक बेसब्री से इंतजार करते थे। फिल्म मैगजीनों या अखबार के मनोरंजन पृष्ठ पर छपी उनकी तस्वीरों को देखकर पुलकित होते थे। ऋतिक भी स्टार किड थे, मगर ऐसे स्टार किड, जिनकी काबिलियत नेपोटिज्म की किसी भी बहस पर भारी पड़े।
पर्दे पर 21वीं सदी के पहले स्टार किड
ऋतिक, बड़े पर्दे पर डेब्यू करने वाले इक्कीसवीं सदी के पहले स्टार किड भी हैं। अभिषेक बच्चन और करीना कपूर ने भी 2000 में ही अभिनय की पारी शुरू की थी, मगर ऋतिक के कुछ महीनों बाद। ऋतिक के साथ करियर शुरू करने का मौका करीना चूक गई थीं, जब उन्होंने कहो ना प्यार है कुछ दिन शूट करने के बाद छोड़ दी। उनकी जगह अमीषा पटेल बॉलीवुड को मिलीं।
ऋतिक रोशन जिस दौर में इंडस्ट्री में आये, वो बेहद चुनौतीपूर्ण समय था। आमिर, सलमान और शाह रुख के रहते स्टारडम हासिल करना आसान नहीं था, मगर ऋतिक ने अपनी फिल्मों के चयन और किरदारों की परख से खुद को उस रेस से अलग भी रखा और उसमें शामिल भी रहे।
फिल्मों के चयन में आमिर को छोड़ा पीछे
फिल्मों के चयन में कंजूस या कहें सतर्क ऋतिक ने 25 साल में सिर्फ 27 फिल्मों में मुख्य अभिनेता के तौर पर काम किया है। इंडस्ट्री में साल में एक फिल्म करने का चलन लाने वाले आमिर खान भी इस मामले में ऋतिक से पीछे हैं। अपने करियर की शुरुआती 25 सालों में आमिर 30 से ज्यादा फिल्में कर चुके थे।
किरदारों और विषयों के लिए ऋतिक की सतर्कता की मिसाल फिजा और मिशन कश्मीर हैं, जो कहो ना प्यार है के बाद 2000 में ही रिलीज हुई थीं। दोनों फिल्मों में ऋतिक रास्ते से भटके मुस्लिम युवक के रोल में थे, जो हालात के चलते आतंकवादी बन जाता है।
फिजा की कहानी 1993 के बॉम्बे दंगों से निकली थी, जबकि मिशन कश्मीर, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ भारतीय फौज के जवाबी एक्शन की बुनियाद पर खड़ी की गई थी।
विशुद्ध मसाला डेब्यू के बाद ऋतिक की ये दोनों फिल्में उनके नये-नये फैंस के लिए झटका थीं, मगर कला के दरवाजे पर एक अभिनेता की यह सशक्त दस्तक थी, जो नई सदी में सिनेमा के मानचित्र पर अपनी जगह बनाने बनाने के लिए प्रतिबद्ध था।
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कॉमेडी-हॉरर का इंतजार
ढाई दशक के करियर में ऋतिक ने भले ही 27 फिल्में की हैं, मगर कॉमेडी और हॉरर को छोड़कर कोई ऐसा जॉनर नहीं, जो उन्होंने ना किया हो। रोमांस, एक्शन, थ्रिलर, बायोपिक, हिस्टोरिकल, पीरियड, सुपरहीरो, साइ-फाई, ड्रामा, हर जॉनर की फिल्म ऋतिक के खाते में जमा है।
बीसवीं सदी के पहले क्वार्टर में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ते देश में भारतीय सिनेमा ने आंखें खोली थीं और हिंदी सिनेमा के सुपर सितारों की पहली पीढ़ी ने अंगड़ाई ली थी। वहीं, 21वीं सदी के पहले क्वार्टर में नये सितारों की अगुवाई का सेहरा ऋतिक रोशन के सिर बंधा है।